( प्रतीकात्मक फ़ोटो)
राजनांदगांव/डोंगरगांव (दीपक अवस्थी)।अब खनिज विभाग और राजस्व विभाग को हथियार की दुकान खोल लेनी चाहिए — आखिर रेत तस्करी अब खनन नहीं, युद्ध कौशल का विषय बन चुका है। जी हां, राजनांदगांव शहर के मोहड़ इलाके में रेत के एक दाने या कहे रेत चोरी पर इतनी मारामारी हुई कि गोली चल गई। वो भी असली वाली! और शिकार बना एक युवक — रोशन मंडावी, जिसकी किस्मत ने उसे बाल-बाल बचा लिया। गोली उसके सिर को छूकर निकल गई, वरना प्रशासन तो शायद इसे “रेतीली दुर्घटना” बताकर चलता बनता।
मौके पर पहुंची पुलिस को देखकर तस्करों ने नई रणनीति अपनाई — महिलाओं की ढाल बनाकर पुलिस को रोका गया! वाकई, यह “लोकतांत्रिक रेत तंत्र” का नया अध्याय है।
बताया जा रहा है कि यह सब अचानक नहीं हुआ — मोहड़ में रेत चोरी कोई छोटी मोटी बात नहीं, यह तो डोंगरगांव से जुड़े एक संपूर्ण “रेत रैकेट” का हिस्सा है, जो रात के अंधेरे में सक्रिय होता है और राजनीतिक सूरज की रोशनी में फलता-फूलता है।
प्रशासन?
खनिज विभाग?
जनप्रतिनिधि?
सब रेत में सर गाड़े ऊंट की तरह चुपचाप हैं।
अब गोली चल गई है, तो शायद अब वे जागें — या हो सकता है अगली गोली की दिशा देखकर निर्णय लें!
सवाल सिर्फ यह नहीं कि गोली चली — सवाल यह है कि क्या अब रेत तस्करी शस्त्र प्रशिक्षण कार्यक्रम बन चुकी है?
देखना ये है कि पुलिस अब जांच करेगी या “बाल-बाल बचे” कहकर केस की रेत में झाड़ू मार देगी।