खैरागढ़-छुईखदान-गंडई। ज़िले के छुईखदान जनपद पंचायत में एक गंभीर वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया है, जहाँ एक जनपद कर्मचारी ने स्वयं वेंडर बनकर सरकारी धन का भुगतान कर दिया। इस घटना पर जहाँ संबंधित कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया है, वहीं भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 202 ,1988 के तहत अभी तक कोई आपराधिक मामला दर्ज न होने पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, छुईखदान जनपद पंचायत में किए गए कुछ भुगतानों की आंतरिक पड़ताल के दौरान यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया, जाँच में पाया गया कि विभाग के ही कुछ कर्मचारी ने कथित तौर पर स्वयं को वेंडर के रूप में दर्शाते हुए, सरकारी परियोजनाओं या सेवाओं के लिए भुगतान प्राप्त किए। यह कृत्य सीधे तौर पर हितों के टकराव और पद के दुरुपयोग का मामला है। इस अनियमितता के उजागर होने के बाद, प्रशासन ने खानापूर्ति की कार्रवाई करते हुए संबंधित कर्मचारी को प्रभाव से निलंबित कर दिया है। परन्तु कर्मचारीयो द्वारा पूरा खेल घर से ही खेला जा रहा ज्यादातर पंचायतो के डिजिटल पेमेंट डिवाइस अभी तक निलंबित ऑपरेटरों के हाथ में ही है जो बहुत से गांव के सचिव सरपंच के हाथ में ही नहीं आ पाया है।