डोंगरगांव (दीपक अवस्थी)।डोंगरगांव नगर पंचायत एक बार फिर विवादों की चपेट में आ गई है। इस बार टकराव नगर पंचायत के उपाध्यक्ष रोहित गुप्ता और मुख्य नगर पंचायत अधिकारी (सीएमओ) विन्रम जेमा के बीच हुआ, जो तीखी बहस और आरोप-प्रत्यारोपों तक जा पहुंचा। मामला अब कलेक्टर तक जा पहुंचा है और प्रशासनिक हलकों में हलचल तेज हो गई है।
झगड़े की जड़ बना 43.80 लाख रुपये की एक निविदा, जिसे लेकर उपाध्यक्ष का आरोप है कि सीएमओ ने मनमाने तरीके से कुछ ठेकेदारों को फार्म ही दिया, बाकी ठेकेदार निविदा प्रक्रिया से वंचित रह गए। वहीं सीएमओ का दावा है कि “नियमों के अनुसार तय समय में जिन ठेकेदारों ने आवेदन जमा किया, उन्हें ही फार्म दिया गया।”
बुधवार को इसी विषय को लेकर नगर पंचायत कार्यालय में जबरदस्त बहस हो गई। सीएमओ का आरोप है कि उपाध्यक्ष उनके केबिन में आकर आक्रामक व्यवहार करने लगे और फाइलें फेंक दीं। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि कर्मचारियों में भी असंतोष की लहर दौड़ गई। कुछ कर्मचारियों ने उपाध्यक्ष के रवैये के खिलाफ कलेक्टर से शिकायत करने की बात कही।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तहसीलदार और एसडीएम को दखल देना पड़ा, जिन्होंने पूरे प्रकरण को कलेक्टर के समक्ष रखने की सलाह दी। मामला थाने तक पहुंचने की नौबत आ गई थी, जिसे दोनों अधिकारियों ने शांत कराया।
पक्ष-विपक्ष की साठगांठ पर उठे सवाल
इस पूरे प्रकरण में एक दिलचस्प मोड़ तब आया, जब उपाध्यक्ष रोहित गुप्ता के साथ नेता प्रतिपक्ष सद्दाम खत्री भी सीएमओ के केबिन में पहुंचे। इससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या वाकई पक्ष-विपक्ष के बीच कोई अघोषित साठगांठ है? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस गठजोड़ का उद्देश्य नगर पंचायत में ठेकेदारी के हित साधना हो सकता है।
जनप्रतिनिधि या ठेकेदार?
एजी खबर को मिले सूत्रों के मुताबिक, डोंगरगांव में कई पूर्व पार्षद और जनप्रतिनिधि अब ठेकेदार की भूमिका में हैं। विकास कार्यों की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर सवाल उठते रहे हैं। जानकारों का कहना है कि नगर पंचायत का तंत्र अब सेवा भाव से ज्यादा ठेकेदारी व निजी स्वार्थों के मकड़जाल में उलझ गया है।
“उपाध्यक्ष मेरे केबिन में आकर निविदा प्रक्रिया पर सवाल उठाने लगे। मैंने बताया कि सब कुछ नियमानुसार हुआ है, लेकिन वे उग्र हो गए और फाइलें फेंक दीं।”
विन्रम जेमा, सीएमओ, नगर पंचायत डोंगरगांव
“भ्रष्टाचार की लगातार शिकायतें मिल रही थीं। मैंने इस पर तार्किक सवाल किए, लेकिन सीएमओ ने जवाब देने की बजाय क्रोध दिखाया। मेरे साथ नेता प्रतिपक्ष भी मौजूद थे। लगाए गए आरोप गलत हैं।”
रोहित गुप्ता, उपाध्यक्ष, नगर पंचायत डोंगरगांव
निगाहें अब कलेक्टर की कार्रवाई पर
इस विवाद ने डोंगरगांव में प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। अब निगाहें कलेक्टर की ओर टिकी हैं – क्या वे निष्पक्ष जांच कराएंगे? क्या नगर पंचायत में छिपे भ्रष्टाचार का पर्दाफाश होगा? और सबसे अहम – क्या जनता को जवाबदेह शासन मिलेगा?