जब 15 अप्रैल 1912 की तड़के टाइटैनिक उत्तरी अटलांटिक की बर्फीली लहरों में डूब रहा था, तो डेक पर अफरा-तफरी मच गई थी। उस त्रासदी में कई जानें गईं, और उनमें कुछ कुत्ते भी शामिल थे जो जहाज के केनेल (पालतू जानवरों के लिए बने हिस्से) में रखे गए थे। ज़्यादातर कुत्ते मारे गए, लेकिन एक कुत्ते की कहानी सबसे अलग और यादगार रही — राइजल नाम का एक बड़ा काला न्यूफ़ाउंडलैंड कुत्ता।
राइजल प्रथम अधिकारी विलियम मर्डोक का पालतू था और माना जाता है कि वह टाइटैनिक के जुड़वां जहाज ओलंपिक से उनके साथ आया था। जब टाइटैनिक हिमखंड से टकराया और डूबने लगा, तो कहा जाता है कि एक क्रू सदस्य ने केनेल के दरवाज़े खोल दिए ताकि जानवरों को खुद बचने का मौका मिल सके। जैसे ही यात्री और चालक दल लाइफबोट्स की ओर भागे, राइजल भी बर्फीले पानी में कूद पड़ा।
जब मर्डोक लापता हो गए और उन्हें मृत मान लिया गया, तब राइजल अंधेरे, ठंडे समुद्र में तैरता रहा। लगभग तीन घंटे बाद, जब लाइफबोट नंबर 4 चुपचाप पानी में बह रही थी, तभी बचाव जहाज कारपैथिया पास आया — लेकिन बताया जाता है कि कोहरे और अंधेरे की वजह से उसे वह लाइफबोट दिखाई नहीं दी। इसी दौरान, राइजल की तेज़ और ज़ोरदार भौंक ने कारपैथिया के क्रू का ध्यान खींचा और टक्कर होते-होते बच गई। राइजल की आवाज़ ने समय रहते क्रू को सतर्क कर दिया, और इस तरह लाइफबोट में सवार लोगों की जान बच गई।
यह कहानी आज भी उस बहादुर कुत्ते की याद दिलाती है, जिसने मानवता के सबसे बड़े समुद्री हादसों में से एक में अपनी भूमिका निभाई।