रायपुर। आदिम जाति और अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री रामविचार नेताम की अध्यक्षता में आज छत्तीसगढ़ विधानसभा स्थित मुख्य समिति कक्ष में प्रधानमंत्री जनजातीय न्याय महाअभियान (पीएम जनमन) योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में जनजातीय समुदायों तक योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन, ज़मीनी चुनौतियों और आगामी रणनीति पर विस्तार पूर्वक चर्चा हुई। आदिम जाति मंत्री श्री नेताम ने बैठक में कहा कि सबकी सहभागिता और संवेदनशीलता के साथ विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिए कार्य किया जाना सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनजातियों के हित में अनेक योजनाएं संचालित कर रही है। यह केन्द्र और राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में से एक है। हमें पीएम जनमन योजना के लक्ष्यों को पूर्ण करने के लिए प्राथमिकता के साथ योजनाओं के क्रियान्वयन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जनजातीय उस घर में रचता-बसता है, इसलिए इस योजना के तहत विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए बनने वाले पीएम आवास को उनकी संस्कृति, परंपरा और परिवेश के अनुरूप तैयार किया जाए। मंत्री श्री नेताम ने कहा कि हमारी सरकार सभी वर्गों के हित में संवर्धन के लिए सुशासन की दिशा में कार्य कर रही है। सुशासन का उद्देश्य है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और बुनियादी सुविधाओं जैसी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे। पीएम जनमन अभियान के माध्यम से दूरस्थ और वंचित क्षेत्रों में परिवर्तन की नई लहर लाई जा रही है। ’सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ और सबका प्रयास की भावना के साथ हम जनजातीय अंचल को न्याय और विकास से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मंत्री श्री नेताम ने कहा कि पीएम जनमन योजना के केवल सड़क, पुल, पुलिया मात्र बनाने का नहीं बल्कि यह एक मिशन है। उन वर्गों के साथ समन्वय और समर्पित होकर कार्य करने से ही शत प्रतिशत लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है। बैठक में अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में अबुझमाड़िया, बैगा, बिरहोर, कमार और पहाड़ी कोरवा इन पांच जनजाति समूहों को विशेष पिछड़ी जनजाति की श्रेणी के अंतर्गत रखा गया है। पीएम जनमन योजना के तहत इन विशेष पिछड़ी जनजातियों के प्रत्येक व्यक्ति और गांवों को सम्पूर्ण रूप से संतृप्त करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। इस योजना के लिए प्रदेश के 18 जिलों के 53 विकासखंड के 1541 ग्राम पंचायत चिन्हाकिंत है। इनमें विशेष पिछड़ी जनजातियों के 56 हजार 569 परिवारों में 2 लाख 12 हजार 688 की संख्या शामिल हैं। इनकी कुल बसाहटें 2 हजार 365 हैं।