गजेंद्र कुमार साहू। पूरे तीन साल बाद अनुज शर्मा की वापसी बड़े पर्दे पर हुई है। विधायक बनने के बाद यह उनकी पहली फ़िल्म है। दर्शकों ने अपने सुपरस्टार का स्वागत भी जोरदार किया है।
वर्तमान समाज और परिस्थति जिसमें पति-पत्नी को रिश्ते बहुत जल्दी ख़त्म होते जा रहे हैं। तलाक जैसी कुप्रथा पर यह फ़िल्म तमाचा मारती नज़र आती है। शादी हो जाने के बाद भी पति या पत्नी द्वारा अन्य प्रेम संबंध होना वर्तमान में आम बात हो चुकी है, यह भी इस फ़िल्म के माध्यम से दिखाकर इसकी बुराई और नकारात्मकता को प्रस्तुत किया गया है। तलाक जो कि कागज के टुकड़ों में साइन करने से सात जन्म के बंधन टूट जाने वाली व्यवस्था को नाकार कर पुनः शादी जैसा उत्सव तैयार कर शादी के बंधन से मुक्त होने जैसे विचार को इस समाज के सामने लाने का प्रयास सराहनीय है। मुझे लगता है इसे असल जीवन में लागू करना चाहिए निश्चित रूप से यह रिश्तों के मूल्यों को समझाएगा और तलाक लेने वालों की संख्या में निश्चित ही कमी आएगी।
फ़िल्म पूरी तरह पारिवारिक है। अनुज शर्मा और अनुकृति चौहान किसी तारीफ़ के मोहताज नहीं है। उनकी जोड़ी को लोगों ने खूब पसंद किया है। इस फ़िल्म में सबसे ज़्यादा चर्चित और अपने आपको इतने बड़े स्टारकास्ट के बीच भी अलग से प्रस्तुत करने वाले “हीरो वाले विलन” का ख़िताब हासिल करने वाले सिद्धांत ने सभी का दर्शकों का दिल जीत लिया है।
अपनी डेब्यू फ़िल्म से जी उन्होंने साबित कर दिया है कि वे लंबी रेस के घोड़े है। बड़े पर्दे और बड़ी स्टारकास्ट होने के बावजूद स्क्रीन में आप उनके बेहतरीन अभिनय और आँखों में झलकते विश्वास को देख सकते हैं। वह दर्शकों को इस बात की भनक भी नहीं पड़ने देते कि यह उनकी पहली फ़िल्म है। बाक़ी कलाकारों ने भी अच्छा काम किया है।