रायपुर- 28 नवंबर को छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस धूम-धाम से मनाया गया। इस अवसर पर राजधानी रायपुर में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा एक बड़े कार्यक्रम कभी आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में राज्य भर के साहित्यकार और कवि उपस्थित थे। भारतीय स्टेट बैंक के सेवानिवृत अधिकारी और छन्द के छ के संस्थापक अरुण कुमार निगम ने अपने ऑफिसियल फेसबुक पेज से छत्तीसगढ़ी को जन-जन तक पहुंचाने के लिए कुछ सुझाव राजभाषा आयोग को भी दिए हैं। खास बात यह है कि उनके इस सुझाव को छत्तीसगढ़ी साहित्यकारों के बीच भारी समर्थन मिल रहा है। क्या है उनके सुझाव देखते हैं…… छत्तीसगढ़िया जन-मानस के मन की बात अगर आयोग और शासन तक पहुँच सके तो……..
“आयोग से अपेक्षा -”
1. छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग को स्वतंत्र अधिकार दिए जाएँ, इसे संस्कृति विभाग से बिल्कुल अलग रखा जाय।2. आयोग का भवन रेलवे / बस स्टैंड के नजदीक बनाया जाए।
3 पुस्तक प्रकाशन लेखक के पसंदीदा प्रकाशक से हो और इस हेतु अनुदान बढ़ा कर दिया जाए।
4 छत्तीसगढ़ी भाषा के सम्मेलनों के लिए सहयोग राशि दी जाए।
5 अन्य भाषाओं के शब्दों का मूल स्वरूप न बदला जाए।
“शासन से अपेक्षा” –
1. प्राथमिक स्तर के शालेय पाठ्यक्रम में छत्तीसगढ़ी एक अनिवार्य विषय हो।
2. शासकीय कविसम्मेलनों में छत्तीसगढ़ी अउ उप भाषाओं के कवियों को आमंत्रित किया जाए।
3. गौरव ग्राम / मुहल्ले चिन्हांकित कर उस ग्राम के छत्तीसगढ़ी साहित्यकारों / कलाकारों के नाम से सांस्कृतिक भवन बनें या गलियों के नाम रखे जाएँ। मुख्य स्थानों पर मूर्तियाँ भी स्थापित की जानी चाहिए।
4 छत्तीसगढ़ राज्य को भाषायी आधार पर “ख क्षेत्र” में शामिल किया जाए।
5 सरकारी परिपत्र त्रिभाषा में जारी किए जाएँ।
6 छत्तीसगढ़ी को रोजगार की भाषा बनाएँ।
अरुणकुमार निगम
संस्थापक, छन्द के छ, छत्तीसगढ़